‘मोनिटर्ड होम सिक्योरिटी सिस्टम’ क्या है ?

‘मोनिटर्ड  होम सिक्योरिटी सिस्टम’ क्या है ?

‘मोनिटर्ड होम सिक्योरिटी सिस्टम’ क्या है ?

June 17, 2024

‘मोनिटर्ड होम सिक्योरिटी सिस्टम’ क्या है ?

मोनिटर्ड होम सेक्युर्टी या सीएमएस मोनिटर्ड होम सिक्योरिटी सिस्टम का उपयोग घरो व दुकानों की सुरक्षा के लिए किया जाता हैं, जो पश्चिम देशों में ज़्यादातर उपयोग किए जाते हैं। लेकिन हमारे भारत देश में इस तरह के सोल्युशंस के बारे में लोगो को जानकारी नहीं हैं, वजह है जागरूकता।

सीएमएस एक कंट्रोल रूम की तरह होता हैं जहा से सारे ऑपरेशन होते हैं। अगर किसी कस्टमर के घर मे कोई अलार्म बजता है, तो इसकी जानकारी तुरंत सीएमएस को मिल जाती है और फिर सीएमएस के ऑपरेटर तुरंत ही उस पर एक्शन लेते हैं और इसकी जानकारी कस्टमर को देते हैं साथ ही अगर जरूरत पड़ी तो लोकल पुलिस को भी सूचित करते हैं।

भारत के बाहर देशो में कुछ बड़ी कंपनी हैं जो सीएमएस मोनिट्रिंग सर्विसेस देती हैं।

सो यदि कोई user इन कोंपनियों से अलार्म सिस्टम खरीदता है और अपने घर या शॉप पर इन्स्टाल करता है उसके बाद फिर वह सिस्टम रीमोटली सीएमएस से मॉनिटर व मैंटेन किया जाएगा। सीएमएस एक साथ लाखों सिग्नल को प्रोसैस करने मे सक्षम होता है। और ये हमेसा अलार्म सिस्टम से कनैक्ट रहता है।

यह विभिन्न प्रकार के सेंसर का कॉम्बिनेशन होता है। Example, एक डोर/विंडो सेन्सर किसी मेन एंट्री गेट पर इन्स्टाल है। ये गेट काही भी हो सकता है, जहा से कोई चोर घर के अंदर घुसने की कोशिश कर सकता है। उदाहरण बालकनी, मेन डोर, या बड़ी काँच की विंडो ।

मोशन सेन्सर घर के कॉमन एरिया में लगाया जाता है जैसे की लिविंग रूम या ड्राइंग रूम। सो यदि कोई चोर किसी प्रकार घर के अंदर घुस आता है, तब भी उसे मोशन सेन्सर डेटेक्ट कर लेगा यदि वो उस एरिया से निकलने की कोशिश करता है जिसे मोशन सेन्सर ने कवर किया हुआ है।

स्मोक सेन्सर का उपयोग आग से होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए किया जाता है। दुकानों के लिए विशेष रूप से लोहे के शटर के लिए शटर सेन्सर का उपयोग किया जाता है। अगर कोई चोर शटर के लॉक को तोड़कर या ड्यूप्लिकेट चाबी का उपयोग करके खोलने की कोशिश करता है तो शटर सेन्सर उसे डेटेक्ट कर लेगा। इसके अलावा भी कई प्रकार के सेन्सर होते हैं जैसे की सीओ(CO) सेन्सर, वॉटर लीक सेन्सर, वाइब्रेशन सेन्सर अँड ग्लास ब्रेक सेन्सर।

ये सारे सेन्सर साइज़ मे बहुत छोटे होते है, तथा वजन भी बहुत कम होता है। ये वायर्लेस होते हैं जो की कंट्रोल हुब से कनैक्ट होते हैं। कंट्रोल हब अलार्म सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होता है। यही वो कोप्म्पोनेंट होता है जहा पर सारी प्रोग्रामिंग और configuration किया जाता है। Emergency के लिए कंट्रोल हब मे भी एक इनबिल्ट साइरन होता है लेकिन एक एक्सट्रा साइरन सेक्युर्टी के उद्देश्य से जरूरी होता है। User इस अलार्म सिस्टम को रिमोट व मोबाइल ऐप की सहायता से ऑपरेट कर सकता है। रिमोट की या मोबाइल ऐप बिलकुल कार-की के जैसे काम करते है। सो यदि user घर से बाहर जाता है और सारे दरवाजे लॉक करता उसके बाद उसे अलार्म सिस्टम को एक्टिवेट करना होगा और जब घर के अंदर जाना चाहता है तो दरवाजा खोलने से पहले उसे सिस्टम डिएक्टिवेट करना होगा।

भारत में सीएमएस मोनिटरड सेक्युर्टी सिस्टम कम लोग जानते हैं, लेकिन केवल अलार्म सिस्टम ऑनलाइन आसानी से खरीदा जा सकता है। लेकिन ये क्लियर कर हैं की आलर्म सिस्टम जो की फ्लिपकार्ट और अमाज़ोंन मे मिलते हैं, वो मॉनिटर आलर्म सिस्टम कोई टक्कर नहीं ले सकते हैं। सीएमएस मोनिटोरेड आलर्म सिस्टम कम्युनिकेशन के लिए विभिन्न प्रकार के प्रोटोकॉल का उसे करते हैं, क्यूकि उन्हे सीएमएस से लगातार कनैक्ट रहना पड़ता है। न की अदर सेक्युर्टी सिस्टम जैसे सिर्फ नोटिफ़िकेशन भेजना होता है।

सीएमएस सिर्फ केवल चोरी, आग और अन्य क्रिटिकल issues को ही मॉनिटर नहीं करता बल्कि ये आलर्म सिस्टम की देख भाल भी करता है। सो यदि किसी सेन्सर की बैटरी लो हो जाती है या उसे कम्युनिकेशन मे कोई समस्या आ रही है तो सीएमएस इसकी जानकारी तुरंत मिल जाती है और सीएमएस के प्रशिक्षित ऑपरेटर उस समस्या को हल करने के लिए तुरंत एक्शन लेते हैं।

सीएमएस 24 घंटे, 365 दिनो सिस्टम को मॉनिटर करता है, ये कोई ऐसी सर्विस नहीं जिसमे कोई वीक एंड या क्रिसमस की छुट्टियाँ हों। क्यूकि चोर कभी भी चोरी कर सकता है। बल्कि छुट्टियों मे चोरी होने अवसर और बढ़ जाते हैं।

सीएमएस मोनिटर्ड आलर्म सिस्टम बहुत कारगर सिस्टम माना जाता है, जो घर या शॉप को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग किया जाता है। पश्चमी देशो में लोखों users सीएमएस मोनिटर्ड आलर्म सिस्टम use करते हैं। लेकिन भारत में हाइ इन्स्टालेशन और मोनिट्रिंग फीस की वजह से लोग इसे ज्यादा उपयोग नहीं करते हैं। कुछ ही कोंपनी हैं जो प्रोपर वायर्लेस सिस्टम मोनिट्रिंग के साथ उपलब्ध कराती हैं जिनकी वन टाइम cost काफी ज्यादा होती है । और फिर मोनिट्रिंग cost भी हर महीने होती है।

अब थोड़ी बात करते हैं डीएफ़एस के बारे मे। हम जानते हैं की हुमे ऐसे सिस्टम की जरूरत है जो भारतीय परस्थिति के हिसाब से हो। Example जादा देर तक बिना पावर सप्लाइ के चल सके, इन्स्टालेशन process सरल हो, नेटवर्क समस्या को हैंडल कर सके, और सबसे जरूरी चीज वो आम जनता के लिए सस्ती हो। ये आसान काम नहीं था, लेकिन 3 साल की रिसर्च और development के बाद अब हमारे पास ऐसा सीएमएस मोनिट्रिंग सोल्यूशन है जो हमारे ग्राहको के लिए सस्ता और पश्चिम देशो जैसा सिस्टम अब भारत मे भी उपलब्ध है। जो उनके घरों और शॉप को कम से कम दाम मे सुरक्षित कर सके।