घर की सुरक्षा के लिए कौन सी सुरक्षा प्रणाली (सिक्योरिटी सिस्टम) सही होती है?

घर की सुरक्षा के लिए कौन सी सुरक्षा प्रणाली (सिक्योरिटी सिस्टम) सही होती है?

घर की सुरक्षा के लिए कौन सी सुरक्षा प्रणाली (सिक्योरिटी सिस्टम) सही होती है?

April 04, 2020

इससे पहले कि मैं इस प्रश्‍न का निष्‍पक्ष तरीके से उत्‍तर दूं मुझे लगता है कि इस महत्‍वपूर्ण विषय के बारे में अधिक रूप से जानने कि आवश्‍यकता है।

इस चर्चा का दायरा भारतीयों द्वारा अपने घर को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले समाधानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्‍सों में जो समाधान उपयोग किए जाते हैं उनके बारे में भी चर्चा करना चाहूंगा।

मेरा व्‍यक्तिगत रूप से मानना है कि हम भारतीय अपने घर और कीमती समान को सु‍रक्षित रखने के लिए बहुत तरह की कोशिशें करते हैं, जैसे मकान की मजबूती के लिए अधिक लोहे और क्रंकीट के साथ मोटी दिवारें, कांच की खिडकियों के बाहर लोहे की मजबूत ग्रिल और दरवाजो के बाहर अतिरिक्‍त लोहे के दरवाजे आदि।

यह कहना अतिसंयोक्ति नहीं होगी कि भारत के घर संभवत: दुनिया के बाकी देशो के घरों की तुलना में ज्‍यादा मजबूत होते हैं। हालांकि चोरो, लूटेरों और अवसरवादियों को इससे कोई फर्क नहीं पडता है। आये दिन हम अखबारों में ऐसी खबरे पढते रहते हैं।

ऐसा क्‍यूं होता है कि हम भारतीय बिना किसी चिंता के लंबी छुट्टी पर नहीं जा पाते हैं।

तो फिर सवाल ये उठता है कि क्‍या इस विषय पर टेक्‍नालॉजी हमारी मदद कर सकती है?

सीसीटीवी – लगभग सभी जगह उपलब्‍ध है, लेकिन क्‍या यह घरेलू सुरक्षा मे सहायक है?

होम ऑटोमेशन, होम सिक्‍योरिटी, आईओटी, स्‍मार्ट होम ऐसे बहुत से नए शब्‍द हम रोज सुनते हैं, लेकिन वास्‍तव मे हमारे लिए क्‍या सही है?

मुझे लगता है कि मैं अगर सारे प्रश्‍नों के बारे में लिखूं तो पूरी एक किताब लिखनी पड सकती है। इसलिए घर की सुरक्षा के बारे में जानकारी के लिए मैं इस प्रश्‍न के नीचे कुछ लिंक्‍स दे रहा हुं प्‍लीज उन पर भी एक नजर डालें।

 

सीसीटीवी कैमरा

– सबसे सस्‍ता, सबसे आम। आप इसे हर गली-चौराहों पर देख सकते हैं। बडी दुकानों, डिपार्टमेंटल स्‍टोर व सार्वजनिक स्‍थानों के लिए बेहतर है। जहां निगरानी की आवश्‍यकता होती है। और इनकी वजह से पब्लिक सभ्‍य तरीके से व्‍वहार करती है। (न कि चोर और लुटेरे)

सीसीटीवी एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए किसी व्‍यक्ति द्वारा बगीचे की दीवार पर पेशाब करने की संभावना या लाइट बल्‍ब चोरी करने की संभावना बढ जाती है अगर उसे पता हो कि यहां पर मुझे देखने वाला कोई नही है। इसीलिए बहुत से लोग इस मनोविज्ञान के चलते ऐसी जगहों पर एक डमी कैमरा भी लगा देते हैं। लेकिन इसके घरों के सुरक्षा मे प्रभावशाली नहीं होने के कई कारण हैं।

1) अपना चेहरा रिकॉर्ड होने की परवाह चोर नहीं करते, क्‍योंकि उसकी कोई सामाजिक प्रतिष्‍ठा नहीं होती।

2) वह अपने मुंह को ढंक कर घर पर घुस सकते हैं।

3) कैमरे की पावर सप्‍लाई काट सकते है, क्‍योंकि सीसीटीवी में बैटरी नहीं होती है।

4) या चोर, चोरी के सामान के साथ आपका DVR भी ले जा सकते हैं।

तो संक्षिप्‍त में सीसीटीवी कैमरे बडी दुकानों, मॉल्‍स, पार्किंग एरिया आदि के लिए उपयोगी हैं। लेकिन यदि घर की सुरक्षा के बारे में सोचा जाये तो यह इतना उपयोगी नहीं है।

 

आईपी कैमरा (IP Camera)

अगला सबसे आम उपकरण है। बहुत उपयोगी है, आप अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके कहीं से भी अपने घर के अन्‍दर या बाहर देख सकते हैं। सीसीटीवी की तुलना में वीडियो क्‍वालिटी बहुत अच्छी होती है। और वायरिंग की आवश्‍यकता नहीं होती है। आप इसे अमेजन या फ्लिपकार्ट से खरीद सकते हैं। और इसे खुद से इंस्‍टॉल भी कर सकते हैं। यह उनके लिए काफी उपयोगी डिवाइस है जिनके घर पर बुजुर्ग हैं, या छोटे बच्चे हैं, जिन पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है या आप यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जब आप अपने घर से बाहर है तब आपकी नौकरानी ठीक से अपना काम कर रही है या नही।

लेकिन आईपी कैमरा सेलेक्ट करते वक्त आपको थोड़ा दिमाग से काम लेने की आवश्यकता है, क्योंकि – Google Nest का कैमरा जो कि 300 USD का पड़ता है (यानी भारतीय रुपये में 22000/- एक कैमरे की कीमत), Ring (जो की अमेज़न की कंपनी है) का एक एक कैमरा same प्राइस में आता है। और दूसरे Chinese प्रोडक्ट्स जो की कुछ एक्स्ट्रा फीचर्स के साथ आते हैं, वो अमेज़न व फ्लिपकार्ट में 2000-3000 रुपये में बिकते हैं, वो भी सैकडों अच्छे Reviews के साथ में! (आमतौर पर ये कैमरा Yoosee, IPC360, Smart_Life, 360eye, TooSee या कुछ अजीब लगने वाले नाम जैसे मोबाइल एप्प के साथ आते हैं)

तो रिंग, गूगल या किसी अच्छे वेस्टर्न ब्रांड की कीमत इतनी अधिक क्यों होती है? क्या इसलिए क्योंकि वो बेहतर दिखते हैं? या बिल्ड क्वालिटी बेहतर है? या ब्रांड वैल्यू? या Alexa या Eco Integration जैसे फीचर्स की वजह से?

Answer है – ऐसा इसलिए, क्योंकि ये कंपनियां प्राइवेसी को सुनिश्चित करती हैं। आप निश्चिन्त हो जाते हैं कि आपके अलावा कोई भी आपके कैमरे को नही देख रहा है। ये कंपनियां कभी भी किसी भी वीडियो को अपने सर्वर पर नहीं रखती हैं।

इसलिए मेरा सुझाव है कि यदि आपको ऐसे कैमरे की जरूरत है जहां पर आपको प्राइवेसी मायने नही रखती तो आप अमेज़न या फ्लिपकार्ट से ऐसे कैमरे, जिसके reviews अच्छे हों, उसे खरीद सकते हैं। ये कुछ समय चलेगे और उसके बाद ये काम करना बंद कर देगें या और कई तरीके की समस्याएं पैदा करेगें।

लेकिन यदि आप अपने घर के अंदर उपयोग करने के लिए कैमरा खरीदना चाहते हैं तो खरीदने के बाद की सर्विस, पीस ऑफ माइंड, प्राइवेसी और उसकी लंबी लाइॅफ के बारे में जानने की कोशिश करें। Ring, Google, Nest, Hipcam आदि कुछ ऐसे विकल्प भी मौजूद हैं। ये थोडे महंगे जरूर होंगे लेकिन Peace of Mind, लंबी लाइफ और एक अच्छा अनुभव भी देगें।

स्‍मार्ट डोरबेल या वीडियो डोरबेल (Smart Doorbell or Video Doorbell

एक और अच्छा प्रोडक्ट है। कुछ समय पहले, Doorbell ऐसी डिवाइस होती थी, जिसमे एक यूनिट बाहर साइड लगती थी और एक डिस्प्ले यूनिट घर के अंदर, जिससे आप वीडियो डिस्पले की मदद से ये देख लेते थे की घर के बाहर कौन खड़ा है।

लेकिन, अब हर घर में इन्टरनेट आ जाने से Doorbell के कार्य करने के तरीके में भी बदलाव आ गया है। अब Doorbell कुछ अद्भुत क्षमताओं और विशेषताओं के साथ आती हैं। आप कहीं से भी अपने मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करते हुए अपने Visitors (आगन्‍तुक) को देख सकते हैं और उनसे बात कर सकते हैं। मोशन सेंसर फीचर का उपयोग करके आप Motion अलर्ट की जानकारी भी अपने मोबाइल फ़ोन पर पा सकते हैं। बैटरी बैकअप एक और अच्छी सुविधा है, जिससे बिजली कटौती होने पर भी ये काम करती है। क्योंकि इंडिया में पावर कट होना एक सामान्य समस्या है।

यदि आपकी एक छोटी फैमिली है या आप हमेसा आसपास नही रहते हैं, या यदि आपके घर पर छोटे बच्चे अकेले हैं और वो किसी अजनबी के लिए दरवाजा खोल सकते हैं, तो इस स्थ्‍िाति में ये वास्तव में बहुत उपयोगी है।

आप पांच-छ: हजार की डोरबेल अमेज़न फ्लिपकार्ट या कहीं से भी खरीद सकते हैं, लेकिन फिर से सतर्क रहें की आप खरीद क्या रहे हैं। इन सस्ते Doorbells के साथ अनुभव काफी ख़राब रहा है, कभी-कभी सूचनायें आती हैं, कभी नहीं आती हैं। या आती भी हैं तो काफी देरी से। इनका Android, iOS के साथ इंटीग्रेशन, सॉफ्टवेयर अपग्रेड, आदि आसानी के साथ नहीं होता है और होता भी हैं तो समय के साथ इसके अनुभव काफी खराब होते हैं। इसलिए यदि आप भरोसेमंद, लंबे समय तक चलने वाली और सहज अनुभव की तलाश में हैं तो कुछ नाम हैं, जैसे की गूगल, नेस्ट, रिंग, हिपकैम जैसी कंपनियों के साथ जा सकते हैं।

अलार्म सिस्टम (Alarm System) -

– अलार्म सिस्टम अन्य प्रोडक्ट्स की तरह लोकप्रिय नहीं हैं। लेकिन ये लोकप्रिय हो रहे हैं और अधिक से अधिक लोग अपने घर की सुरक्षा के लिए अलार्म सिस्टम का चयन कर रहे हैं।

एक अलार्म सिस्टम विभिन्न प्रकार के सेंसर्स का कॉम्बिनेशन (समायोजन) होता है। उदाहरण के लिए डोर या विंडो सेंसर, जो कि किसी दरवाजे या खिडकी के खुलने को डिटेक्ट करता है। ये सेंसर घरों के मुख्य दरवाजों/खिडकियों पर लगाये जाते हैं। मोशन सेंसर किसी भी प्रकार की गति को डिटेक्ट कर लेता है, आमतौर पर मोशन सेंसर घर के कॉमन एरिया में लगाये जाते हैं जैसे की लिविंग रूम या ड्राइंग रूम। फायर & स्मोक सेंसर का उपायोग फायर व स्मोक को डिटेक्ट करने के लिए किया जाता है, जो की हमें फायर इवेंट्स का अलर्ट देता है। इनके अलावा भी और कुछ महत्वपूर्ण सेंसर होते है जैसे की CO सेंसर, फ्लड सेंसर, ग्‍लास ब्रेक सेंसर, लाइट सेंसर आदि।

ये सेंसर्स काफी छोटे होते हैं। ये सारे सेंसर एक सेंट्रल डिवाइस जिसे कंट्रोल पैनल या कंट्रोल हब बोलते हैं, से वायरलेसली कनेक्टेड होते हैं। हब किसी भी अलार्म सिस्टम का मुख्‍य भाग होता है। कुछ कंट्रोल हब में इनबिल्ट साईरन भी होता है, लेकिन फिर भी, एक Additional (अतिरिक्‍त) आउटडोर साईरन की आवश्यकता होती है, जो की काफी तेज आवाज में बजता है। जिसे सुनकर चोर के भाग जाने की संभावनाएं बढ जाती हैं।

ये सारा सिस्टम एक रिमोट-की से ऑपरेट किया जाता है जो की किसी कार के रिमोट-की के जैसी दिखती है। ज्यादातर अलार्म सिस्टम मोबाइल एप्प सपोर्ट करते हैं, जिससे आप मोबाइल एप्‍प का उपयोग करके भी कही से एक्टिवेट व डीएक्टिवेट कर सकते हैं। समान्‍यत: जब घर से बाहर जाते हैं तब अलार्म सिस्‍टम को एक्टिवेट करते हैं और जब घर वापस आते हैं तो, दरवाजे खोलने से पहले अलार्म सिस्‍टम को डीएक्टिवेट किया जाता है।

एक बार फिर से, दस-पन्‍द्रह हजार की रेंज के बहुत सारे मेड-इन-चाइना सिस्‍टम आपको अमेंजन आदि पर मिल जाते हैं। लेकिन बात जब क्‍वालिटी और भरोसे की करें तो कई कंपनियां जैसे कि वाइजोनिग, एल्‍डस, बोल्‍ड, एजेक्‍स, डीएफएस आदि हैं, जो कि थोडी महंगी हैं लेकिन भरोसेमन्‍द हैं।

जबकि अच्छे हार्डवेयर क्वालिटी वाले अलार्म सिस्टम ये सुनिश्चित करते हैं कि सिस्टम लंबे टाइम तक चले और इसकी विश्वसनीयता बनी रहे। ऐसा प्रोफेशनल मॉनिटरिंग के द्वारा ही संभव है। ये प्रोफेशनल मॉनिटरिंग ही है जो कि वास्‍तविक अंतर बताती है। लेकिन दुर्भाग्यवश ये भारत में अभी भी व्यापक रूप से उपलब्ध नही है। और अधिकांश लोग इसके बारे में नही जानते हैं। पश्‍चिमी देशों में ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जो ऐसे सिस्टम और सर्विस उपलब्ध कराती हैं जैसे कि ADT, FRONT POINT, SimliSafe, Vivint Smart Home, Protect America, DFS.

CMS Monitoring वास्तव में क्या होती है, अब मैं यह बताता हूं।

सीएमएस मोनिटर्ड अलार्म सिस्‍टम (CMS Monitored Alarm System)

CMS (सेन्ट्रल मॉनिटरिंग स्टेशन) को अलार्म रिसीविंग सेंटर या ARC भी कहा जाता है। बड़े टीवी स्क्रीन्स और बड़े मॉनिटर्स के साथ एक बड़े कमरे की कल्पना, यही है CMS।

CMS हर सेकंड्स में लाखों सिग्नल्स को संशोधित करने में सक्षम है और प्रोफेशनल तरीके से प्रशिक्षित ऑपरेटर सॉफ्टवेर Algorithm (एल्गोरिद्म) के साथ उन संकेतो को प्रोसेस करते हैं।

संक्षेप में कहे तो CMS आपके घरों में लगे अलार्म सिस्टम से लगातार जुड़ा रहता है और अलार्म सिस्टम की निगरानी व देखभाल करता रहता है। जब मैं बोलता हूं कि ‘लागतार जुड़ा रहता है’ इसका मतलब है कि सिस्टम हर 30 सेकंड्स में CMS को एक नोटिफ़िकेशन भेजता है। जिससे ये पुष्टि हो सके की सब कुछ उम्मीद के मुताबिक वैसे ही चल रहा है जैसे उसे चलना चाहिए।

इसलिए, अगर कोई बैटरी कम हो रही है, कोई व्‍यक्ति किसी सेंसर को चुराने की कोशिश करता है, कोई उसे खोलने की कोशिश करता है, कोई कम्युनिकेशन समस्या है, कोई नेटवर्क समस्या है, अलार्म ट्रिगर, धुंआ, आग या ऐसा कुछ भी हो, CMS के ऑपरेटर्स यह सुनिश्चित करते हैं कि सही समय पर उचित कार्यवाही हो सके।

इसीलिए, यही वजह है कि मॉनिटर्ड अलार्म सिस्टम को प्रोडक्ट के रूप में न बेच कर उसे एक सेवा (सर्विस) के रूप में पेश किया जाता है। जिसके कारण आप सिर्फ हार्डवेयर ही नही खरीदते हैं, बल्कि मॉनिटरिंग कंपनियों से 24/7 आप जुडे रहते हैं।

वास्तव में CMS अनवरत काम करता है और इसके लिए उसे कुछ विशेष मानको से होकर गुजरना पडता है। CMS ने साबित किया है कि वह 99.99% सेवा देती है। 0.01% जो कि एक साल में लगभग 1 घंटे के बराबर का डाउनटाइम होता है। यह एक ऐसी सर्विस है जो सप्ताहांत, दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस आदि की छुट्टियां नहीं लेती, क्‍योकि अनहोनी कभी भी हो सकती है।

संक्षेप में, CMS Monitored अलार्म सिस्टम निर्विवाद रूप से एक घर या दुकान की सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है और पश्च्मिी देशों में लाखों लोगों द्वारा अपनाया जाता है। लेकिन भारत में अधिक मॉनिटरिंग लागत और जानकारी के अभाव में बहुत कम लोग इसका इस्‍तेमाल करते हैं।

आप इनसे संबंधित कुछ वीडियो यहां पर देख सकते हैं:

In Hindi: Monitored Alarm System | How Home Security system works| Home security tutorial | Hindi

In English: Monitored Alarm System | How Home Security system works| Home security tutorial | English

भारत में अभी सिर्फ दो कंपनियां हैं, DFS Services और Vprotect India जो कि मोनिटर्ड सिक्‍योरिटी सिस्‍टम उपलब्‍ध कराते हैं और जिनका खुद का सीएमएस है। (और भी हो सकती हैं, लेकिन मुझे संदेह हैं कि वो ऐसी सर्विसेज प्रदान करती हैं)

आप और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, प्रश्न पूछ सकते हैं या यहां से लाइव डेमो का

Home Security System India

जब मैं कहता हूं कि CMS Monitored अलार्म सिस्टम निर्विवाद रूप से एक घर या दुकान की सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी तरीका है तो इसके लिए सिर्फ मेरे शब्‍दों पर विश्‍वास मत करें, आप इसके बारे में Google पर भी सर्च करें, इसके बारे में पढे उसके बाद ही कोई निर्णय लें।