सिक्योरिटी सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है?
March 14, 2019
सभी सिक्योरिटी सिस्टम एक ही सिध्दांत पर काम करते हैं, जो एन्ट्री प्वांइट्स को सुरक्षित करते हैं, जैसे कि डोर और विन्डो, इसके साथ ही आंतरिक कीमती चीजें जैसे कि कम्पयूटर, पैसे, जेवर इत्यादि के लिए भी सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं। आपके घर के आकार से इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपके घर में कितने डोर हैं, कितनी विन्डो हैं या कितने कमरों को आप सुरक्षित करना चाहते हैं। इसमें सिर्फ एक ही चीज मायने रखती है और वो है कि आप कितने सिक्योरिटी कंपोनेंट पूरे घर पर इंस्टाल करवा रहे हो जो कि कन्ट्रोल पैनल के द्वारा मोनिटर किया जायेगा।
सिक्योरिटी सिस्टम क्या है?
किसी भी सिक्योरिटी सिस्टम की परिभाषा उसके नाम से ही स्प्ष्ट हो जाती है। ये एक ऐसा सिस्टम होता है जो कई कम्पोनेन्ट और मशीनों के कॉम्बीनेशन से मिलकर बना होता है जो एक निश्चित विधि का प्रयोग करके सुरक्षा उपलब्धल कराता है।
यहां पर हम होम सिक्योरिटी सिस्टम की बात कर रहे हैं, जो कि एक इंटिग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस् का नेटवर्क होता है, जो कन्ट्रोल पैनल के साथ मिलकर चोरों व अन्यए संभावित घुसपैठियों से सुरक्षा मुहैय्या कराता है।
एक होम सिक्योरिटी सिस्टम के साथ निम्न कम्पोनेंट होते हैं-
एक कंट्रोल पैनल जो किसी भी होम सिक्योरिटी सिस्टम का मुख्य् भाग होता है।
डोर सेंसर और विंडो सेंसर
मोशन सेंसर और स्मो क सेंसर
वायरलेस सिक्योंरिटी कैमरा
एक हाई-डेसीबल का साइरन
कुछ यार्ड साइन
रिमोट की या मोबाइल ऐप
होम सिक्योरिटी सिस्टम कैसे काम करता है?
होम सिक्योरिटी सिस्ट्म एक बहुत ही सरल सिध्दांत पर काम करता है और वो है घरों के एंन्ट्री प्वांइट्स को सुरक्षित रखना। इस काम के लिए कई प्रकार के सेंसर होते हैं जो कन्ट्रोल पैनल के साथ कम्यूनीकेट करते हैं, जो कि घर की किसी कन्विनिएंट जहग पर इंस्टॉल किया जाता है जिससे कन्ट्रोल पैनल सारे कंपोनेंट्स के साथ कम्यूनीकेट कर सके। ये सेंसर एंट्री डोर व विन्डो पर लगाये जाते हैं जहां से चोरों के घुसने की संभावाना होती है। घर के अन्दर की जगहों को मोशन सेंसर के दृारा प्राटेक्ट किया जाता है।
कन्ट्रोल पैनल– कन्ट्रोल पैनल सिक्योरिटी सिस्टम का मुख्य पार्ट होता है जिससे सारे सेंसर इंटर-कनेक्टेड होते हैं। जब भी कोई सेंसर किसी प्रकार की इवेंट डिडेक्ट करता है तो एक सिग्नल कन्ट्रोल पैनल को भेज देता है और कन्ट्रोल पैनल अलार्म बजाने लगता है साथ ही इसकी जानकारी मोनिटरिंग स्टेशन तक भी पहुंचा देता है। इन कन्ट्रोेल पैनल का की-पैड टच की-पैड होता है जिससे प्रोग्रामिंग करने में और एक्टिवेट व डिएक्टिवेट करने में आसानी हो। लेकिन ये सब करने के लिए की-पैड की आवश्यकता नहीं होती है क्यों्क इनको रिमोटली भी एक्सेेस किया जा सकता है। और एक्टिवेट व डिएक्टिवेट करने के लिए मोबाइल ऐप और रिमोट-की का उपयोग किया जाता है।
डोर और विन्डो सेंसर– डोर सेंसर और विन्डो सेंसर के दो पार्ट होते हैं, जो एक दूसरे के समांतर इंस्टॉल किये जाते हैं। सेंसर का एक पार्ट दरवाजे व विन्डो मे लगाया जाता है और दूसरा पार्ट उसके फ्रेम पर लगावाया जाता है। जब दरवाजा व विन्डो बंद होत हैं तो सेंसर के दोनो पार्ट जुडकर एक सिक्योरिटी सर्किट का निर्माण करते हैं।
जब सिक्योरिटी सिस्टम आर्म या एक्टिवेट होता है तब ये सेंसर पैनल से कम्यूिनिकेट करके ये सुनिश्चित करते हैं कि एंट्री प्वाटइंट सुरक्षित है और उस परिस्थिति में अगर दरवाजा व विन्डो खुलती है तो सिक्योरिटी सर्किट टूट जाता है और कन्ट्रोल पैनल अलार्म बजाने लगता है और अलार्म पैनल इसकी जानकारी मोनिटरिंग स्टेशन तक भेज देता है।
मोशन सेंसर– मोशन सेंसर PIR टेक्नॉलाजी का उपयोग करके मोशन को डिडेक्ट करते हैं। ये सेंसर घर की ऐसी जगह पर लगवाये जाते हैं जिससे अगर कोइ चोर किसी भी तरह घर में प्रवेश कर जाता है तो वो उस एरिया को पार नहीं कर पायेगा जहां पर मोशन सेंसर लगा होगा। अगर वो ऐसा करते हैं तो मोशन सेंसर उन्हे डिडेक्ट कर लेगा और कन्ट्रोल पैनल को इसकी जानकारी भेज देगा। ये मुख्यत: घर के अन्दर लगवाए जाते हैं जिससे कीमती चीजों की सुरक्षा हो सके।
फायर और स्मोक सेंसर- फायर व स्मोक सेंसर जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि ये आग व धूंए को डिडेक्ट करते हैं। और जब घर या शॉप पर किसी प्रकार की आग लगती है वो किसी भी वजह से हो (शार्ट सर्किट या अन्य किसी वजह से) तब ये सेंसर उस आग व धुंए को डिडेक्ट् करके एक सिग्नल, कन्ट्रोल पैनल को भेज देते हैं।
वायरलेस वाय-फॉय IP Camera – वायरलेस कैमरा आज कल बहुत जादा उपयोग हो रहा है, उसकी वजह है, सरलता और जरूरत हो पूरा करना। किसी भी आई-पी कैमरे में इतने फ़ीचर्स होते हैं कि किसी भी व्यक्ति की जरूरत को पुरा कर सके। इसको इंस्टॉल करना बहुत ही आसान होता है, और कहीं भी इंस्टॉल कर सकते हैं। किसी एक निश्चित ऐप के द्वारा कहीं से भी रिमोटली एक्सेस किया जा सकता है। रिकॉर्डिंग के लिए 2 विकल्प होते हैं, आप मेमोरी कार्ड में रिकॉर्डिंग कर सकते हैं या क्लाउड स्टारेज में जिससे अगर कोई कैमरा भी चोरी करके ले जाता है तो उसकी रिकॉर्डिंग तब भी मिल जायेगी। ये मोशन सेंसर की तरह मोंशन भी डिडेक्ट कर सकते हैं और तुरंत ही उसकी जानकारी मोबाइल ऐप पर भेज देते हैं। इसकी अलावा और भी बहुत से फीचर होते हैं जैसे कि PTZ फ़ंक्शन जिससे आप कहीं से भी बैठे-बैठे आप अपने पुरे कमरे को मोनिटर कर सकते हैं। Night Vision – इस फीचर की वजह से रात का स़ीन भी दिन जैसा दिखाई देता है। ऐसे बहुत से फक्शन एक आई-पी कैमरे में होते हैं। बस इसको इंटरनेट से कन्नेक्ट करने की जरूरत होती है।
वायरलेस साइरन – वायरलेस साइरन एक बहुत ही अच्छा डिटरेंट है। ये टेम्पर फक्शन के साथ होता है। ये 120 डेसीबल की ध्वनि से अलार्म बजाता है जो कि आधा मील दूर तक सुना जा सकता है। इसमें फ्लैश करती हुई LED लाईट होती हैं। जो कि किसी भी चोर के साहस को कम कर सकता है। इसके फायदे ये भी हैं जिससे आस-पास के पड़ोसी भी जान जाते है।
क्या होता है जब अलार्म ट्रिगर होता है?
कोई भी सिक्योरिटी सिस्टम कुछ निश्चित काम को पूरा करने के लिए डिजाइ़न किया जाता है, इसलिए जब कोई अलार्म ट्रिगर होता है तो वो निश्चित कामों को पूरा करता है जैसे उसमें प्रोग्रामिंग की गई होती है। आपका सिस्टरम कैसे काम करता है ये उस अलार्म सिस्टम पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का अलार्म सिस्टम उपयोग कर रहें हैं।
मोनिटर्ड स्क्यिोरिटी सिस्टम
अगर आपका सिक्योरिटी सिस्टम किसी प्रोफेश्नल मोरिटरिंग कंपनी द्वारा मोनिटर किया जा रहा है तो किसी भी प्रकार के अलार्म के ट्रिगर होने पर मोरिटरिंग स्टेीशन के योग्य ऑपरेटर आपको उस अलार्म के बारे में सूचित करेंगे और साथ ही अगर जरूरत पड़ी तो वो उस अलार्म से संबंधित ऑथारिटी को भी सूचित करते हैं जैसे कि पुलिस, फायर-ब्रिगेड आदि को। होम ऑनर और मोनिटरिंग सेंटर के ऑपरेटर के बीच बातचीत उन मोबाइल नम्बर से होगी जो कि होम ऑनर ने उन्हे उपलब्ध कराये होंगे और बताया होगा कि किस नंबर पर कब कॉल करना है। इसके साथ ही हाई-डेसीबल अलार्म ट्रिगर होगा जो कि काफी दूर से सुना जा सकता है। और उस अलार्म का टेक्स्ट मैसेज भी होम ऑनर के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आयेगा। मोनिटरिंग सेंटर के ऑपरेटर तब तक होम-ऑनर से फॉलो-अप करेंगे जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता है।
नॉन-मोनिटर्ड अलार्म सिस्टम – इस प्रकार के सिस्टम DIY सिक्यो्रिटी सिस्टम होते हैं जिसके साथ भी एक हाई-डेसीबल अलार्म साउण्ड इंस्टॉल होता है और जब कोई अलार्म ट्रिगर होता है तो ये अलार्म साउण्ड ट्रिगर हो जाता है जिससे अगर आप घर पर हैं तो आपको पता चल जाता या आपके पडोसी जान जाते हैं कि कोई घटना हुई है। इसके साथ ही होम ऑनर को टेक्स्ट मैसेज व पहले से रिकार्डेड मैसेज कॉल के द्वारा कन्ट्रोल पैनल से भेजा जा सकता है। लेकिन इसमे मोनिटरिंग स्टेशन से मिलने वाली सारी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं।
नॉन-मोनिटर्ड अलार्म सिस्टम
इस प्रकार के सिस्टम DIY सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं जिसके साथ भी एक हाई-डेसीबल अलार्म साउण्ड इंस्टॉल होता है और जब कोई अलार्म ट्रिगर होता है तो ये अलार्म साउण्ड ट्रिगर हो जाता है जिससे अगर आप घर पर हैं तो आपको पता चल जाता या आपके पडोसी जान जाते हैं कि कोई घटना हुई है। इसके साथ ही होम ऑनर को टेक्ट् े मैसेज व पहले से रिकार्डेड मैसेज कॉल के द्वारा कन्ट्रोडल पैनल से भेजा जा सकता है। लेकिन इसमे मोनिटरिंग स्टे शन से मिलने वाली सारी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं ।